कत्गा कयांरू
कत्गा रैबार
बाटा मां किले बिरहक पराग
बाटा मां किले बिरहक पराग
पराणी गाणी कंठ भोरी भोरी
कभी त् दिखलू मायाक
चिराग
आँशुक तबराट्
कबैर तलक रैलू
बोऽडी ऐ जावा एक
बार
हैंसी जाली यु
भिजिं आँखी
होंठऽक नि रैंलू
अब ककडा्ट
ऐ जालू म्यारा भी
जीवन मा बसंत
ज्वानीक दिन छन द्वि
चार
बोऽडी ऐ जावा एक
बार
बांजा पुंगडी् बीज जमला
रुखडा् धारुं मां पाणिक छपळाट
इकुलांस डंड्याळी रोणक राली
मेरा ज्यू मां उदंकार
बोऽडी ऐ जावा एक
बार
© सर्वाधिकार सुरक्षित
रचना -: बलबीर राणा “अडिग”
No comments:
Post a Comment