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Tuesday 10 June 2014

काफळ

ये बरस
भिज्याँ  काफळ अय्याँ
बणू मा
गिचों मा  लाव
मन मा उल्लास च
छोरुं कु
देश दुन्याँ घामल सुखणी
ठंडीऽ बथौं ससराट मा
डालों किब्चाट मचयुं
छोरुं कु
ब्वे बुबों तेन चिंता हूणी
कखी लम्डी ना जावो
युंका उल्लासक दगडी
डाळा भी
झुकण लग्याँ
नोना नोनी काफळ  टिपण लग्याँ


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