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Wednesday, 11 August 2021

गजल

ज्यू मा गेड़ ह्वली बि त बताणु क्वो चा
जन मि चिताणु तन चिताणु क्वो चा ।
 
कुछ त कारण छिन या उठा पोड़ की
निथर यनु रात भर जगणु क्वो चा ।
 
जिंदग्या चांचड़ी मा अंग्वाळ बोटी त्वेन
नित मि जना बांगा तैं पुछणु क्वो चा ।
 
चलती कु नौं गाड़ी च साब दुन्यांदारी
फट्यां टेरों तैं वर्कशॉप ल्यीजाणु क्वो चा ।
 
भैर मन से धरम की बात सब्बी कना
पर ! आज धर्में बात मानणु क्वो चा ।
 
इन्टरनेट पे बुग्यळयों कमी नि अजक्याल
बाग पड़ी गुठ्यारों पर झपटणु क्वो चा ।
 
मना रिश्ता  छिन या ज्यू का मंदिर
त्वड़णा सब्बी फर जोंड़णु क्वो चा ।
 
तीरथ बार खूब घूमणा छिन सब्बी लोग
शीली उबरा खांसणी ब्वै तैं पुछणु क्वो चा।
 
परगति कन वळा त लग्यां च दिन रात
फर ! फ्री का बाना वा उंगणु क्वो चा ।
 
तेरु अभाग कि त्वेन नोनी नि होण द्ये 
औलंपिक मा तिरंगा लेराणु क्वो चा ।

भारत सदानी जोड़णें जुगती पे रयूँ अडिग 
या द्ववफाड़ कने साजिस रचणु क्वो चा ।
 
@  बलबीर सिंह राणा ‘अडिग’
https://udankaar.blogspot.com/

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