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Friday, 3 September 2021

लघु कानी : जब बिगड़ी काम तब ऐन बैसाखु बाबा कु नाम


            कै समयै बात च एक गौं मा बैसाखू नौ कु एक किसाण रैंदू छै। अपणी गाजी पाती नाज पाणि से पूरो जिम्दार मनखी। अपणा घौर मु अयाँ कै बि मेमानों ज्यू ख्वोली आदर परमत कर्दू छै। जन कि पैल्या जमाना मा मनख्यूँ नामकरण जादा कर मैना, बार या कै विशेष दिन पैदा होण पर कर्ये जान्दू छै। तनि बैसाखू नौ बि छै। चैता मैनों जलम्यूं चैतू, असाड़ो असाड़ू, सौणा मैनों सौण्यां, भादो कु भादू, शिवरात्री दिनों शिबसिंग आदि आदि। इनि बैसाखा मैनों बैसाख सिंग छै।

            एक दिन बैसाख सिंगा द्याळ मु ब्यखुन्दा एक ज्वोगि ऐन। ज्वोगि जगमटा तैं सुलकरि मिली जान्द कि फलाण गौं मा फलाण मवसी भलि आदर भगति वळी छै, अर वा वींका घौर मु आसन जमै देन्दू छै। बैसाखुन जोगी कु चा-पाणी, हुक्का-तमाखु से आदर परमत करि अर ब्वोली स्वामी जी आज मेरा घौर मु रुकि सेवा मौका द्यावन। जोगि तैं क्या चैणु छै जर्रा ना नुकर का बाद जमी ग्यों बैसाखू डंडयाळी मा।

वे दिन भोजन तातो गुळथ्या (कळयों), घ्यू-दूध, दै अर छां (छांस) छक सपोड़िन जोगिन। स्योंणें बगत ह्वेन त बैसाख सिंगन बोली स्वामी जी मेरु नौ बैसाख सिंग छ अर मि ग्यूँ (गेहूँ) लोणा मैना पैदा हुयूँ। रात मा क्वे बि अड़चन परेसानी होण पर मितैं धै लगै दियाँ। यखमु ल्वटया फर पाणी बि धर्यूं छ। अर बैसाखु भित्रखंड चलग्यों सेणा वास्ता।

स्वामी जी खै प्ये डकार ल्ये पसरग्यों दिसाण मा। त साब जोगिन भौत दिनों बाद इनि तळो-मळो, चखळ-पखळ वळू भोजन करी छै वे दिन। तातू गुळथ्या घ्यू दगड़ ठंडी छांस दै बी। अब अद्दा राति मा । सितगरमल जोगि पुटुग खबताण लगिन। अब क्या करुन ? नै जागा। भैर दिशा मेदानों बाटू बि पता नि। यकुला जाणे हिम्मत बि नि ऐन। मथि बटिन जुगापट अन्धयारु। अजक्याला जन चकमककार बिजली लेट नि छै तबारी। अर ना घौर-घौर मु लेटिन लुटने सुविधा। जोगी बैसाखु नौ बिसरी ग्यों अर वे तैं याद रै केवल ग्यूँ लोणा मैना।

अब जोगी धै लगाण लगिन। ग्यूँ लोणा मैना बाबा। ग्यूँ लोणा मैना बाबा। ग्यूँ लोणा मैना बाबा।

            साब। हर आदिम तैं अपणु नौ प्यारु होन्द अर वा नौ वेका अवचेतन मा मिस्यूँ रैन्द। क्वे कब्बी बि अर कखि बि पुकारुन त आदिम तुरन्त चौंकि जान्द कि क्वो छै मितै भटयाणु, चै वा कति गैरी निन्द मा किलै नि छिन। तख ग्यूँ लोणा मैना कैकु नौ त छै नि छै। त कख खुलण छै बैसाखू निन्द ?

            जोगि तैं निर्रा पिर्रा ह्वेगी। करुन त क्या करुन। पूरी तागत लगै रोकणु छै। पर आखिरकार जोगि इन्द्रिन जबाब द्यै याली। अर वा स्यूँ कपड़ा तखि छियरे ग्ये। इतगा मा भितर बटिन बैसाखु बि निन्द खुलिन अर वा चम्म भैर। ब्वला स्वामी जी ? क्या ह्वेन आपन धै लगाई क्या ? जोगिन निराश ह्वे ब्वोली। अरे बाबा ! बल ।  “जब बिगड़ी काम तब ऐन बैसाखु बाबो नाम”। तबारी जोगि गिच्चा बि बैसाखु ऐग्ये छै। तबारी बटिन या कावत हमारा यख चलण मा ऐन कि “जब बिगड़ी काम तब ऐन बैसाखु बाबो नाम”  याने । काम बिगड़णा बाद मदद कै कामें नि होन्दी। 

 

कानी : बलबीर राणा अडिग। 

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