चौं दिशों मा ऐग्ये मौळयार,
डाळी बोटयूँ फूल फुल्यार।
भिटा पाखा झकमकार
फूलों की सग्रांद फूल त्योवार।
डाळी बोटयूँ फूल फुल्यार।
भिटा पाखा झकमकार
फूलों की सग्रांद फूल त्योवार।
खिलपत ह्वे किं धर्ती हैंसणी
सार्यों मा कन बसन्ती नाचणी।
ध्येळी ध्येल्यों मा फूल बर्खणा
सजौली भौरीं सुखी शंति बाटणा।
सजौली भौरीं सुखी शंति बाटणा।
बाळा नोन्यालों की लगीं लंगत्यार,
फूलों की सग्रांद फूल त्योवार।
सजीं गिन चिंकी पिंकी द्वी बेणियाँ,
बाटा लग्यान बाळा सौंजण्यां।
एक हथ सजौळी दौड़म् दौड़ी
हैका हथ बुराँसी प्योंळी सिलपौड़ी।
देणा छिन बाळा खुस्यों कु रैबार
फूलों की सग्रांद फूलों त्योवार।
दादी की डंडयाली लिपि घेंसी छै
चाची कु चौक खोडू सौरीं छै।
बौड़ा नै ध्वै की पूजा लगाणु
चाचा नौन्यालों तैं खाजा बाटणु।
आज दिणा बाळा द्यो आशीर्वाद
फूलों की सग्रांद फूल त्योवार।
हैर्यू भरयूं रै बोजी तेरु घरबार
डोखरी पुंगड़ी दियाँ भौरीं भकार
टळमळ रै अन्न धन का कुठार
गाजी पाती मा रयाँ मौळयार।
बगौंणा लगिन चैती वयार
फूलों की सग्रांद फूल त्योवार।
गीतकार : बलबीर राणा अड़िग
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