Search This Blog

Wednesday 23 September 2020

गुसैं जी (बाळ कानी)

             मनीसा अर तनीसा इस्कूले छुट्टी मा घौर अयां छाँ। नोनिन्यूँ लकार, ददि दगड़ भैर-भितर डुखरा-पुंगड़ा दगड़ जान्दा छाँ। एक दिन तौन ददी तै ब्वली ददी हमु तैं किसाणों मैत्व बतौं हमारा गुरुजिन ब्वोलि कि किसाणों मैत्व गौं बटिन सीखीं अयाँ। नतिणों लकार देखी ददिन एक कानी  सुणे।

      बुबा एक गुसैं जी (गुसाईं) छाया, गुसैंजी गौं मा बड़ा जिमदार छाँ, सम्पूर्ण गिरस्थ। छकी जमीन जैजाद, नाज-पाणी, गाजी-पाती। गिरस्थी होर प्रमुख सदस्यों मा पूसु कुकुर अर मंगशीरी बिराळी भैर भितरा पैरादार। कूड़ी खदरा मा चैता घिंदुड़ी अर पुंगड़ा मा बैसाखु मूसौऽ परिवार बी साजीदार छै। गुसैं जी जति बड़ा जिमदार छाँ वति कर्म ज्यू का बड़ा मनखी, जीवन शूत्र छै कि सब्बी जीव नमाण यीं जिमदरी पर निर्भर छाँ ये वास्ता कैतें तिराणु नि। जु बि औन्दू आशा पर आन्दू मेरा घौर बटिन क्वे निराश नि होणु चैंद।

      मालिक का यीं सत ब्यौहार से मंगशीरी बिराळी तऽऽ बिल्कुल असंगल्या ह्वेगी, घ्यू दूध खै घळघळकार। भितर बैसाखु मूसाऽ परिवारे चखळपखळ। पूसु कुकुर चंट चालाक पर मालिको हुकम द्यो वचन मानी घुर-घुर करि बैठयूँ रैंद। खौळ घाम डाळी नाज पर चैता घिंदुड़ी मवसी सदानी बग्वाळ मणादी।

      जब कब्बी मंगशीरी अर पूसू मालिक मा बैसाखु मूसैऽ अर चैता घिंदुड़ी मवसी सिकैत कर्दा त गुसैं जी ब्वल्दा चुप रा खाण द्या जु खाणु अपणु भाग कु खाणु मेरु क्या खाणु। यीं बात सूणी बैसाखु मूसा अर चैता घिंदुड़ी परिवार दुर्वा आशीष देंदा कि यीं भग्यानों घौर जुग तलक सदानी अन्न धन से भरयूँ रौ। गुसैं घौर मा कब्बी अन्न धनै कमी नि ह्वेन अर सब्यों परिवार पलणु रयूँ।

      ताऽऽ ..... बाबू गुसैं जी सत से अज्यूं तक गुसैं मवसी फलणी फूलणी छै, गौं क्या भैर सैर मा बी।  मनीसा अर तनीसाऽन जिज्ञासा से बोली ददी कु छाँ यना सत पुरुष गुसैं जी ? आँख्यूँ मा आँसू डबळे ददिन अटकी बोली बुबा तेरु ददा जमन सिंह गुसांई जी। अब द्वि बैण्यां गर्व कना छाँ अपणा दादा जी बसुदेवकुटंबकम कर्म पर। द्वीयों बाळा मनऽल सौं खैन कि वा बी अपणु जीवन यी शूत्र पर ज्यूला।


@ बलबीर राणा ‘अडिग’

No comments:

Post a Comment