सफेद कुर्ता वाळा, इनि ठगे चलि जाणा
सुदी मुदी कु, को-करार करि चलि जाणा
सुप्यनों कु मैल त रचायी- रचायी, दगड मा
अपणा नो कु एक ढुङ्गा चढ़े कि चलि जाणा
वे विकासक मुखड़ी बसग्यालक बाद दयख्णु
वा हर साल यख एक होर रगडू बणे चलि जाणा
ऐsरां इख रौंण वाळा मुच्छयाला बुजोंणा रैन्दा
चकडेत हर्यां-भर्यां बोण आग लगे चलि जाणा
नि छिन अब क्वी लो लकार नि रैगी क्वी सल-सगोर
सस्ता अर फ्री का पैथर कर्मशक्ति ख़्वै चलि जाणा
वा गारंटी रोजगार क्या ऐन दुकानी मा फांट लगीं छ
वे रजिस्टर मा सर्रा परिवारे हाजिरी लगै चलि जाणा
नि छिन कखि नाज पाणी नि छिन कखि साग-भुजी
ये बसग्याल बी बजारक सड़ी लोंकी भोरी चलि जाणा
को-कारज मुश्किल हुयों क्वे धर्म धाध नि लगन्दी अब
जु बी छ टेंट हौस अर डोटियालों दगड पैटे चलि जाणा
समै की बात छ या समझ की बात, क्व जाण भैजी
देखा-देखी एक हैका पिछने बजारी ह्वे चलि जाणा
कै मर्दोन पाड़ काटी स्वाणि घर कुड़ी संवरेंनी
क्वे अब तों बाटों मा ढुङ्गा फर्के कि चलि जाणा
निर्पट ह्वे किन मुख लुकायूँ जों कु घर कुड़ी बटिन
इन भी लोग पाड़ बचाण कु उपदेश दे चलि जाणा
@ बलबीर राणा "अडिग"
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