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Tuesday 31 July 2018

अगळ्यार



कबि बाटों मा बटोही बदलणा रैला
कबि बटोही बाटों तें ख़्वजणा रैला
तु मठु-माठू बाटू पुर्यो दग्ड़या
ऐगी तेरी अगळ्यार अब निभो दग्ड़या।

सुख-दुःख त आणा जाणा रैला
यों बाटों मा कांडा बुढेन्दा रैला
कबि मिल्लो सीधू-सैणु स्वांपट
कबि ह्वली चढ़ी-चढ़ी उकाळ अचाणचक
चढ़ा-चुटि उंदार देखी न घबढ़ो दग्ड़या
ऐगी तेरी अगळ्यार अब निभो दग्ड़या।

रैलू  तों बाटों मा उदंकार
ह्वलो सदानी जगमगकार
नि रैलू अज्ञानक अन्ध्यारु
जब रैलू नेकि नारेंण कु हिगनत्यार
द्वी दिवा सच्चे का जगो दग्ड़या
ऐगी तेरी अगळ्यार अब निभो दग्ड़या।

ब्वै-बाब कु हाथ जो तेरा कांद्यों पर रैला
त्यारा खुट्टा कांडों मा चलणा रैला
दुन्यां की बुरी हव्वा से बच्यों रैलू
वा बथोंन बी अपणु बाटू बदलणु रैलू
जरा ब्वै-बाबे सुणी जा, सरि अपणी न लगो दग्ड़या
ऐगी तेरी अगळ्यार अब निभो दग्ड़या।

रचना : बलबीर राणा "अड़िग"

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