धर्ती पर जीवन संघर्षों वास्ता च, आराम त यख बटिन जाणा बाद, ना चै किन बी कन पड़ल, ये वास्ता लग्यां रावा, जत्गा देह घिस्येली उत्गा चमक, उत्गा संचय जु यख छुटलू। @ बलबीर राणा 'अडिग'
कख छां तुम रौंठ्याल- बौंठ्याल किले लगिन इत्गा डैर कख गैन जाति-विरादरी वाळ किले दनकि यकुली भैर थोड़ी क्या हिलेंन वेन सरका-बर्क़ी थडम-थैर धरम-शरम कु प्रचंड बुखार किले सर्कि सरपट-सैर।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
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