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Friday, 19 September 2025

बादळ हरामी साला : मनहरण घनाक्षरी

 बादळ हरामी साला, धौळा-धौळा काळा-काळा,

काल बणि औणा बोला, फटणा फटाक चा।

होणु-खाणु घर-बार, मिलट मा वार-पार,

डुकरदा रोला-गाड़, कना सफाचट चा।


सर्ग बण्यूं भौंकाल, डौरौ नौ बसग्याळ,

जान ऐगे गाळ-गाळ, कनु कलो-काल चा।

जंत जोड़ जौंतैं पाळि, दबेणि सु गाजी साळी,

हैंसदि जिंदगी होंणि, पल मा मड़ान चा।


हिलणि पाड़ै कि जड़, भर्र-भर्र धड़-धड़

सड़क्यूँ कि चीरफाड़, कनि या बरखा चा

विकास बिणास होंणू, पाड़ रुणू दणमण,

राजी-बाजी घौर-कूड़ि, होणी खंद्वार चा।


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