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Tuesday, 16 September 2025

ननि कहानि : यु बि विशुद्ध लोकवाणी ही छ



 ब्वेकु बौं हाथन पाँचेक सालै श्रेया कु बस्ता छौ कांधिम थाम्यूं अर देणा हाथन वींकि हथगुळि पकड़ी नौन्याळां तै भिड़कतौळ मा छै वींतैं अग्नै खेंचणि, अर स्या खुनखुन करि पिछनै छै ताण मारणी। वींकु हैंका तरिफां ताण मन्नो कारण छौ इस्कोला गेटा बौं तरिफां बाळों कि चटण-बटण वळि दुकनि।

चुप्प रा गौ खड्यौण्यां, चल अग्नै ? मैने तेरो को फुंड चुट्याणा आज।

वीन खुन्न-खुनाट दगड़ बोलि "अपणि बाबै ....... होगी तू " मुझे चौकलेट नै लाणै देती है। ब्वेल चट्टाक वींका गिच्चा पर। कैसी गळद्यवा लड़की है ये ? पता नै काँ-काँ से सीखती है ऐसी भद्दी गाळयां। यां सैर-बजार में रै कर तमीज बि नै सीख रयी। जनु कि सैर-बजार होन्दू ही तमीजा वास्ता होलू।

चल घर, तेरे पापा को तेरी सिखैत करूंगी आज।

ऊँऽऽ..हुँ...हुँ, हाँ…. कल देणा, उस पापा ने ही दिले थे मुझे पांच लुप्या, ऊँऽऽ हुँ.. हुँ ।

अच्छा त सु कमिना बिगाड़ रा मेरी श्रेया को, बतौन्दि वेतैं आज ।

 ‘जन मयेड़ि तनि जयेड़ि’ श्रेया कख चुप्प रौण वळि छै। वीन बि टप्प उनि खुन-खुनाट दगड़ ऊँऽऽ..ऊँऽ... मैने बि बता देणा कि पापा ये मम्मी तुझे कमिना बोल रयी थी अर ब्याळि बगल वाले अंकल को "अपणि मयेड़ी ख....." बोल रयी थी।

मि वूंका पिछने-पिछने छौ औणू तै पतळी गळि मा। तौंकि विशुद्ध लोकवाणि वार्ता सूणि मितैं खित्त हैंसि ऐन अर मि तौं तैं बिरै अग्नै सरक्यूं। मेरा अग्नै सरकण पर स्या भुलि गुणमणाट मा छै बौन्नी, आँ ऐसे हंसणें वाले तो देते हैं बच्चों को कुशिक्षा।

@ बलबीर राणा 'अडिग'

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