Search This Blog

Saturday, 7 January 2023

गजल



किनारा खड़ा रंद, तमासु  द्यखण वळा,

भमs फाळ मारी द्यना, पार  द्यखण वळा।


करणी कुछ अर करणहार कुछ ब्वनु,

घंघतौळ मा छिन मेरु भागेष द्यखण वळा।


हैकsक चव्वो ढूँग खैना ठुलो होणु कु,

अपणी पौ-औलादे कतै नि स्वचण वळा।


चस्सा कमरों मा चुप ज्यू लगोंणा बल,

तड़तड़ा धारों मा घाम तापण वळा।


जिंदग्या बाटों मा भिटवळी अगिणत होंदी, 

पर, यादों डवार ख्वळद फर्की द्यखण वळा।


रोण-खोण अपणा लक-लकार पे अडिग , 

पर, क्या पांदा ह्वला हैकों ध्वछोंण द्योण वळा । 


शब्दार्थ:-


खैना - ख्वदणा

फर्की - मुड़ी कि 

ध्वछोंण - बुरी बात ब्वोली टवकण,


@ बलबीर  राणा 'अडिग'

No comments:

Post a Comment