पैली घौ
मेरी गरीबी
दुसरो घौ
वींको मेरा नौरुं सारु बणण
तिसरौ घौ
वीं तैं मेरु नौर देण
चौथू घौ
कैमरा इन्टरव्यू वळों कु
जु पूछणा कि
वीं दगड़ क्या ह्वेन ? कनुक्वै ह्वेन ?
पाँचो घौ
न्यायौ भरसू ध्योंण
अर धरना नारा लगाण वळों
छटों घौ
न्याय देण वळों को अन्यो
सातों घौ
नोनी बुबा होण
आठों
घौ सोणे
अब मिमा हिगमत नि।
आत्मा फर कच्चाक च पड़ीं
दिन रात मवाद पीप बगणू
घौ पकीं पिलपिलौ ह्वयूँ
जैतें सत्ता, पैंसा का डाक्टर
लगातार पितौड़णा।
नौर – कंधा
रचना : बलबीर राणा अडिग
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