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Saturday 7 January 2023

दस ढसाक



1.

मि राणी तू राणी 

क्वो भरलो पाणी

इनम नि जिमण्यां गिरस्थी 

एक पाथू हैकु चार माणी। 

2.

चटपट हिटदी चढ़ि

सुरक सौजी सड़ि

दुन्याल त ब्वनै च 

मठ ह्वो चै मढ़ि।

3.

हैकों  देखी लायीं खायीं  

जौं कु लग्यूँ पन्यळु पाणी 

म्यार बाबै कन मति मरिन 

ज्वा स्या नि मांगी। 

 4.

खीसा नि पाई पल्ला 

चल भै द्वी ब्यौ कला 

पाथु उठाणें सक्या नि 

चला जी, ढाकर चला।

 

5.

जति खस्या मनोंण 

वति खस-खस कन्यौंण 

जै का गात झर्रऽ न ह्वो

वेतैं क्या भान क्या भौंण।


6.

मेरा बुबाऽन घ्यू खाई 

बल मेरु हाथ सूँगा

रैग्यां तुम गरुड़ घिन्दूड़

अब दाणी-साणी यी ठूँगा

7.

अफूँ खणमणकार रीता 

हैका तैं पढ़ौणा गीता 

फजल कौरा ज्ञान ध्यान फार्बट 

चै करम मौसुऽन लीपा।

8.

नंग ना खूर 

किलै आई यति पूर

नि छै जब सक्या त

किलै करि पैली कटमचूर।

9.

अब ना भितर, ना भैर 

कु जगौऽक जिठाणु वैद्य 

त्यारा ठाट-बाट हमूतें बाबू 

चूळा-चाँठों परौ सैद। 


10. 

देख्यूँ मैंस क्या द्यखण 

तापि घाम क्या तापण

थूक चाटण म्यार बसौ नि  

तू अब ना जंपण, ना थापण।


©® बलबीर राणा ‘अडिग’

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