हे पावन पुनीत भारत भूमि
वंदन अभिनन्दन त्वे कर्दू,
तेरी कुछ्ली मा जलम ल्येणु कु
ऋण जीवन फर देख्दू ।
तेरी आन-बान का
खातिर माता
सदनी डटयूँ रैलू,
विस्वास कर्यां यू अडिग
एक इंच बी पिच्छवाड़ी नी हट्लू ।
सुण रे बैरी तेरु पौंठा पराण
कत्गा बार मिन देखियाली,
पैंसठ, सत्तर, करिगिल, डोकलाम
गलवान मा बिंगेयाली।
एजा रे क्वे दिशा बटिन बी
जख बटि बी ऐलो थै ल्योला,
चार फुट्या ह्वो या छै फुट्या
त्वे तखि झटके ध्योला।
तिलक कर्यूं छै माटी कु
राष्ट्र यज्ञ कु हव्य बणि छौंवूँ,
आहुत होणें कसम खयीं छै,
तै फर वचनबद्ध छौंवूँ।
चीर बांधी छन तिरंगा को
तिरंगा तैं नि झुकण ध्योला,
तिरंगा लहरे कि औला या
तिरंगा मा लिपटी की औला।
दुर्वासा का वंशज छाँ हमू
छेड़ा ना भृकुटी चढ़ी जाली,
चंट चाणक्या निति का अग्ने
तुमारा बसे नि छैयी।
राणा, शिवाजी, माधो की तलवार
अज्यूं बी खुंडी नि ह्वायी,
गब्बर, दरवान जशवंत
कु ल्वै
अज्यूं बी तातू ही छैयी।
तांडव देख्याळी तुमुल
तौं हिमालै का चांठों फर,
दुस्सास करि कन देखा हौर
नचलू तुमारा मुंडों फर।
जै घोष भारत माता कु सूणी
बैरी तू फिर थर्थरालो,
मातृभूमि बलवेदी फर
मेरु बलिदान अमर ह्वालू,
मेरु बलिदान अमर ह्वालू।
आंण – सौं, सौगंध, कसम
@ बलबीर राणा ‘अडिग’
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