भ्वोळ ऊणी खूब पांजा, भौरी कूल कुठार
लगावा ताळा कूँजी, समाळा भौं भंडार।
समाळा भौं भंडार, सुचित चरेत्रौऽक विचार
जाण बाद रैलु वा, तेरु सुबाटौ उपकार
कब सामळ निमणि जौं, कै टेम लगी जौं ज्वोळ
पता नि चलण्यां अडिग, क्या ब्याखुनी क्या भ्वोळ।
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@ बलबीर राणा 'अडिग'
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