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Monday, 22 November 2021

मातृभाषा : बलबीर राणा अडिग



ब्वै कि क्वोखी उन्द ज्वा सूणी 

वा छै हमरि मातृभाषा। 

धर्ती मा ऐ ज्वा हमुल बींगी 

वा छै हमरि मातृभाषा। 


बुराँस काफल का रसों मा 

जै भाषा तैं हम चुसणा रयाँ

जु ब्वै कि दूधेऽ धार मा प्येनी

वा छै हमरि मातृभाषा। 


बाळापन किलकर्यों मा 

बच्याण रयाँ सनकाणा रयाँ

ख्वल्यांस मन कुबळाट कैरी 

अपणी छुँयूँ तैं बिंगाणा रयाँ

हो हो कैरी गूणी बांदर हकायी 

वा छै हमरि मातृभाषा। 


ब्वै कि क्वोखी उन्द ज्वा सूणी 


घुघती न्योळी का सुरों मा

गाड़ गदना छीड़ा छंछडों मा ़

धारा पंदरोंऽक छाळा पाणी मा

जै भाषा तैं हम घटकाणा रयाँ

सुरसुर्या बथौं कु जु सांस ल्येनी 

वा छै हमरि मातृभाषा। 

वा छै हमरि गढ़वळि भाषा। 


ब्वै कि क्वोखी उन्द ज्वा सूणी 


डांडी कांठयूँ ज्वा भटयाणा रयाँ

खुदेड़ गीत मा जै गाणा रयाँ

दै दादा की किस्सा कान्यूँ मा 

जै भाषा हुंगरा मा देणा रयाँ

भै बेणियों मा जु छिंज्याट कैरी

वा छै हमरि गढ़वळि भाषा। 


ब्वै कि क्वोखी उन्द ज्वा सूणी 


डोंर थाळी कु डमड़ाट  

बाजा भुंकरों कु भिभड़ाट 

भान जगरी का रासों मा 

जै भाषा की भौंण पुर्याणा रयाँ

ज्यूंदाळ मा दद्यबतोंन जु द्येनी

वा छै हमरि मातृभाषा। 

वा छै हमरि गढ़वळि भाषा। 


ब्वै कि क्वोखी उन्द ज्वा सूणी 


नरेन्द्र नेगी राही का कंठों मा

प्रीतम बंशती का जागरों मा

कन्यालाल की कबितों मा 

जै भाषा तैं हम गाणा रयाँ

भजन दा की पोथ्यूँ मा जु पढ़िन

व छै हमरि मातृभाषा।

वा छै हमरि गढ़वळि भाषा।


ब्वै कि क्वोखी उन्द ज्वा सूणी 


सीखा बाबू दुन्यें की भाषा

तर्की कैरा तुम यीं च आसा 

पर अपणी भाषा. ना तैं छवाड़ा 

यीं भाषा तुमरा जलड़ा जम्यां छै 

दुन्यां मा तुमरी पच्छयाण रैली 

तुमु मा ह्वेली अपणी भाषा।


ब्वै कि कोख उन्द ज्वा सूणी 

वा छै हमरि मातृभाषा। 

धर्ती मा ऐ ज्वा हमुल बींगी 

वा छै हमरि मातृभाषा। 


बुराँस काफल का रसों मा 

जै भाषा तैं हम चुसण रयाँ

जु ब्वै दूधेऽ धार मा प्येनी

वा छै हमरि मातृभाषा।

@ बलबीर सिंह 'राणा'

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