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Saturday 10 July 2021

कुड़बाक्या : ननि लोककानी

 



            कीडा़ पड़यां त्यारा गिच्चा उन्द बि। त्वेन बि कब्बी सुबाग नि बोली, तु बि भखन्ड कु जनु कुड़बाक्या ह्वेगी। अरे ढूंगे दिवार पर बि पराणा होन्दू। तुम सदानी कै बि दिवार, मोरि संगार या निरजीव चीज तैं चटेली गाळी देणा रावा, कुड़बाग ब्वने रावा त एक दिन वा चीज जरुर खिन्नत ह्वे जाली।

            त भुलाराम जर्रा स्वोचि समझी ब्वलण चैन्द। तै ज्यू मा जर्रा ठो धैर, धीर धिर्गम ह्वो। चट फट ना खैत भैर। अब जमानु उनि नि रेन कि जन्यो (क्वे) सूणी चुप रै जाउन। द्येल्यू क्वी गाल पर चपकताळ खेंचि। मंगलु दा अपणा एक भुला तैं समझाणु छै जु बात बात फर कैतें बि अबिन सबिन (उल्टा सुल्टा) ब्वलणू रैन्दू छै।

            ल्ये सूण तेरा जन एक कुड़बाक्ये कानी सुणान्दू। कै जमाना मा भखन्ड गौं मा बल एक बामण छै सुविधानन्द, हाँ जात से वा बामण छै फर करम से खांदू मंगदू भाट, कुड़बाक्या। तैकि जति बि सेवा पाणी कारा फर आखिर तैन उल्टू जुबान बकणें छै। सुल्टो त तैका गिचन कब्बी ब्वोलि नि। कुड़बाक्या बि इनु कि धोनू तुरन्तो, सेंड परसेंट, दुर्बासा। जादाकर तैकि जुबान सच्ची ह्वे जान्दी छै। तनि निरासिल छुवीं ह्वे जान्दी छै जनु तैकु बक्यूं रैन्दू। इलै सर्रा इलाका का लोग तैका गिचा से भिज्यां डर्दा छै कि ना जाण वा कखमु कैतें क्या अणकसी ब्वोली द्यों ।  

            त भुलाराम एक बार नजीक कै गौं मा बल कै ठाकुर मवासिन बड़ी धैन चैन हौंस हुलास से नै मकान बणेन। बूटा नक्कासीदार तिबारी, जंगला। धुर्पळा मा घूनी लंबी चौड़ी छपछपी पठाळ। चौड़ा ऊँचा मोर संगार। मकानो काम पूरा होणा बाद तै मवसिन धूमधाम से गरबेस (गृहप्रवेश) कु कारिज करिन। तीन दिन कु माविद्या पाठ। खोळी गणेश मोरि नारेणें विधी विधान से पूजा प्रतिष्ठा। कारिज का आखिर दिन सर्रा गौं इलाका कु ब्रह्मभोज रखिन । त ब्रह्मभोजा दिन वा कुड़बाक्या बि तख पौंछिग्ये। नारदमुनि जनु जखौ तख दिख्यूँ पौंछयूँ मिल्दू। तैखुणि घंडोळि शंख, बाजा भुंकरा बजण चैन्दा छै, बिगैर न्यूतयूँ मेमान बणि जान्दू छै।

            वे दिन जब भोज कु बगत ह्वेन त लोगुन बोलि यार इनि कैरो कि सबसे पैली तै सुविधानन्द तैं खवै द्यावा भाय। बाद मा पता नि तैकु गिचा क्या बक्की द्यूलु। गौं ख्वाळा अर मकान मालिकन सुविधानन्द तैं पठार्दीयों से अग्ने डंडियाळी मा आसन लगै ब्रह्मभोज करेन, थकुला उन्द हाथ धुवेन। भोजन दक्षिणा द्ये अर विदा करिन।  चलो लोगुन लम्बी सांस लिनी कि आज बचग्यां। फर आदिमें फितरत कैन जाणि वा बि सनक्या कुड़बाक्या मनखी कि। वा मथि बटिन भैर खौळ मा ऐन अर खौळे दानणी मा बैठग्यूं, अर कटगिन दांत घचौरदु बड़ा मेसि फर नै मकानें सज्जे धज्जे कु जैजा ल्येण लगिन। सब्बी चीजें पुल्बे कन लगिन। वा बि बड़या, आहाऽ या बि खूब। आऽ हाऽ वा कति सुन्दर आदि आदि।  अर हाँ रे जजमानो खोळी त तुमुन भलि चौड़ी बणेन लो ठिक जौंळा मुर्दा औण लेख।

            हे ब्वेईई !!!! त बोला। सब्बी सन्नऽ रैग्यां। अब यां से हौर कुड़बाग क्या ह्वे सकदू छै। कन मर्यूं रे ये भाटक, कन अणकसी निराशपंथ वळी बात बक्की ग्यूं। फेर लोगुन लठ्येन वा तख बटिन। कै आदिमा शुभ कारिज मा इनु कुड़बाग ब्वलला त मार क्या जुत्ता खाण वळि बात छ। हाँ तै दिन जु बि ह्वे ह्वलु पर हैका साल तै खौळि बटिन सच्ची जौंळा मुर्दा भैर ल्येणु अपसगुन ह्वेन बल। त भुलाराम कैतें सुबचन नि ब्वोली सकदां त कुबचन बि नि ब्वन चैन्द, ठिक च।

 

कानी बीसवीं शताब्दी होर पोर सच्ची घटना पर आधरित च केवल गौं अर मनखी नौ बदळयूं च।

 

@ बलबीर सिंह राणा अडिग


 

 

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