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Saturday 8 February 2020

मायो व्याकरण


कब्बी स्वर कब्बी व्यंजन
दगड़ दगड़ी बरोबर जतन
ना जादा मातरों घंघतौळ
न सर्ग विसर्गों झौळ
ना अल्प विराम
नि लगाण पड़दू पूर्ण विराम
शब्दों की या अनन्त डार
जति भौरी सकदा वति ग्रंथ अपार
एक हैका कु चंद्रबिंदु अर साज सिंगार
छाळा पाणिंग जन भावनों रस अलंकार
सुणण/समझौण, मानण/मनोणु चैन्द परण
बस इतगा सरल छ, मायो व्याकरण।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

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