Search This Blog

Monday 16 December 2019

समै


समैं फ़र्फ़राट्
करि उड़ी जांद
पल, घड़ी, दिन
मैना अर साल बणि
चलि जांद
दूर धार पोर
जख क्वे न देख साकू
पर समै तैं पता नि
वा बँध्यौं रैन्दू
झुकूड़ी किल्वाड़ा पर
यादों गैणु बणि कट-कट
जु कखि नि भैजी सकू।

@ बलबीर राणा 'अड़िग'

No comments:

Post a Comment