धर्ती पर जीवन संघर्षों वास्ता च, आराम त यख बटिन जाणा बाद, ना चै किन बी
कन पड़ल, ये वास्ता लग्यां रावा, जत्गा देह घिस्येली उत्गा चमक, उत्गा संचय जु यख छुटलू।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
Search This Blog
Saturday, 12 October 2019
मनसा
मन मा कबि कबि
स्वचणों छ कि
माया/पिरेमा बिगैर
अपणैस से दूर
यकुलांस का दगड़
जीवन जात्रा करि जावो
फर ज्यू तौं रुखड़ा बाटों का
कांडा कण्डालीss दयेखि
झझराणों छ किले ?
वा बुद्ध अर ध्रुव
मनखि नि छाँ क्या?
No comments:
Post a Comment