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Tuesday 3 March 2015

ऐगे वा होरी


ऐगे वा होरी
याद कंठ-कंठ तक भोरी भोरी
ज्यु मां उमाल च
मन मां उलार च
कै मां डालुला रंग
कु आलो संग
जौला देली- देली
भटकुला मोरी- मोरी
गीत लगौला
प्रीतक अंग्वाल भरुला
पर !
वु बाळापन अब नि रायी
ना माया को वु जमानु रायी
भटकणु छै यु पराण आज भी
गौं गल्यों धोरा आज भी
जख होरी का नबाब बणि
बक्सट बण्यां रैन्दा जणि
ब्वे व्यखुन्दा मुंड पलासी
दैन्दी छै होरी तें गाळी।

@बलबीर राणा 'अडिग'

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