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Sunday, 17 August 2014

हमेर कमे

बण माफियोंन डाळा काटी
खनन माफियोंन उखाड़ी
हेकोंन्   बणे नांगी यु धरती
धरतिन हमेर कुड़ी् उजाड़ी

वरुण द्यबता रुष्ठ ह्वयुं
पर्वत महाराज रुसायुं च
होर कुछ नी दोष दयाणी
अकर्मो से हमारू ही कमायूं च



© सर्वाधिकार सुरक्षित
रचना :- बलबीर राणा “अडिग”
 

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