धर्ती पर जीवन संघर्षों वास्ता च, आराम त यख बटिन जाणा बाद, ना चै किन बी
कन पड़ल, ये वास्ता लग्यां रावा, जत्गा देह घिस्येली उत्गा चमक, उत्गा संचय जु यख छुटलू।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
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Friday, 9 August 2024
ननि कानी : लगुलै हत्या
गबरू
अर सबरू पड़ोसी, अर हाँ पीठी का भै बल। बुबा हवलदरी मा पूर्व सैनिक।
दुन्याँ देखी-सीखी सु बि जीवने पूरी कमै मा पाँच बिस्वा कु सौकर छौ सैर मा, द्वि
लड़ीकों तैं मकान टेपक आसरौ
बणाई। हाँ इतगा सल्ल कु काम त करि भैसाबन कि भौळा दिन नोना न्यारा-वारा ह्वै जाला त अलैद-अलैद कूड़ौ त बणैंयाली छौ। समै का दगड़ा न्यारा बि ह्वेन अर वारा
बि। गिरस्थी द्वियूँ की खींचणी अर भाजणी छै। कुनस त वे दिन ह्वैन कि जब द्वियूँन वीं एक चौका बीचों-बीच एक दिवाल बणैंन कि तैकु धुवाँ
मेरी तरफां नि औण चैन्द। अर हौर कुनस त वे दिन होयूँ जै दिन ज्वा बेल (लगुलो) बुबान लगाई छौ सु गबरू का तर्फां
बटे सबरू का तर्फां चलगे छौ, अर सबरून अपणा तर्फां औण फर स्या
बेलै हत्या करिन जलड़ौं बटि। स्या र्निजुबान बैल तैं पता नि छौ कि तैकु जीपीएस भारत बटे पाक्स्तिान ल्ही जालू
कटणा वास्ता।
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