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Sunday 14 April 2024

मनहरण घनाक्षरी : पैंसा

 


पैंसौं की छ यारी सारी, पैंसौंन क्या-क्या नि सारी।

पैसौं की छ माया सारी, पैंसा सार-तारी चा ।।

पैंसा नि त रकबक, पैंसा परे झकमक।

पैंसौं मा यी घल्च-बल्च, पैंसा यी गुज़ारी चा।।

 

पैंसा पैंसा करि त्वैन, जिंदगी कु सार ख्वैन।

सदानी जोतियूँ रयूँ, बणी रयूँ बैल चा।।

संगता अंग्वाळ भौरी, दिन-रात करि जोड़ी,

सुख ल्यौणू तैं मनखि,  ह्वै जांद तू घैल चा।।

 

@ बलबीर राणा अडिग

14 Apr 24

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