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Sunday, 22 January 2023

पिरेमा पाँच पुछयड़

 


1.

सच्चू पिरेम 

स्वारथ नि त्याग मांगद

अर ये तैं चैन्द 

एक हैका फर कटकटौ विस्वास 

ज्यान तकौ समर्पण।


2.

पिरेम मनाणू 

जर्रा सि 

श्रद्धाऽक फूलों जर्वत होन्द  

बाकी 

वासना पुळयाणू मनखी

इच्छाऽक हजार टूणा 

कना रैन्द। 

 

3.

वासना तृप्ति, 

अर,

पिरेम अतृप्त हून्द

पिरेमें तीस जीवन सांस 

तलक रैन्द। 


4. 

पिरेम 

एक फूकऽन बजद 

जौंळा मुरुली सुर छ

यू ही अनन्त नाद, 

अनहद मा पौंछणों बाटू छ। 


5.

सयी पिरेम करा त सयी 

ये कि स्क्रीन सदानी

अनलॉक मिल्ली 

यख पासवर्ड 

या लॉक पैर्टन नि पड़यूँ रैन्द

एक हैकऽक डाटा 

ऑपन रैन्द 

ना ये तैं क्वै हैकर 

हैक कैर सकदू।  


*©® @ बलबीर राणा ‘अडिग’*

Thursday, 12 January 2023

पाँच पंचक

 


1.

वोट मेरु

भडू तौं कु

पाणी मेरु

तीस तौं कि

जमीन मेरी

हळया तौं कु

नाज मेरु

कुठार तौं का

रसौड़ू मेरु

लदौड़ी तौं की

मितैं क्या दिनी रे

विकास ! त्वेन 

घुनत्या ?

 

2.

क्वै भजैन

क्वै भाजिन

द रे विकास

रीता कनु

आई तू पाड़ौं मा। 

 

3.

कब्बी दबिन

कब्बी रौड़ी बगिन 

अब रयीं सईं

दड़-दड़की चीरिन

ऐ...रे विकासऽऽ ?

छ रे ! कुछ हौर ?

बिणासौ विज्ञान

तै बि बुलौ दों बल।

 

4.

ना पूछ बाबू !

अब त आदत पड़िगे

रूण-धूणें-डाड मने

थौकि कि जमाणें

ज्यूँरा का छवाड्याँ

अवशेष टीपणें

नै कुटमणा जिमाण-जंपणें

स्वेंणा सजै, हैंसणें

अर फेर

डाड मारी पच्छाड़ खाणें

ये शरेल मा सांस तलक। 

 

5.

द्यबता बसायी छौ, द्यबतोन

आस्था लूटी तुम सब माबुतोंन

अब किलै छन डाड मना

जब पाप करि सब्योन।

 

@ ©® बलबीर राणा अडिग

12 जनवरी 2023

 

Saturday, 7 January 2023

दस ढसाक



1.

मि राणी तू राणी 

क्वो भरलो पाणी

इनम नि जिमण्यां गिरस्थी 

एक पाथू हैकु चार माणी। 

2.

चटपट हिटदी चढ़ि

सुरक सौजी सड़ि

दुन्याल त ब्वनै च 

मठ ह्वो चै मढ़ि।

3.

हैकों  देखी लायीं खायीं  

जौं कु लग्यूँ पन्यळु पाणी 

म्यार बाबै कन मति मरिन 

ज्वा स्या नि मांगी। 

 4.

खीसा नि पाई पल्ला 

चल भै द्वी ब्यौ कला 

पाथु उठाणें सक्या नि 

चला जी, ढाकर चला।

 

5.

जति खस्या मनोंण 

वति खस-खस कन्यौंण 

जै का गात झर्रऽ न ह्वो

वेतैं क्या भान क्या भौंण।


6.

मेरा बुबाऽन घ्यू खाई 

बल मेरु हाथ सूँगा

रैग्यां तुम गरुड़ घिन्दूड़

अब दाणी-साणी यी ठूँगा

7.

अफूँ खणमणकार रीता 

हैका तैं पढ़ौणा गीता 

फजल कौरा ज्ञान ध्यान फार्बट 

चै करम मौसुऽन लीपा।

8.

नंग ना खूर 

किलै आई यति पूर

नि छै जब सक्या त

किलै करि पैली कटमचूर।

9.

अब ना भितर, ना भैर 

कु जगौऽक जिठाणु वैद्य 

त्यारा ठाट-बाट हमूतें बाबू 

चूळा-चाँठों परौ सैद। 


10. 

देख्यूँ मैंस क्या द्यखण 

तापि घाम क्या तापण

थूक चाटण म्यार बसौ नि  

तू अब ना जंपण, ना थापण।


©® बलबीर राणा ‘अडिग’

गजल



किनारा खड़ा रंद, तमासु  द्यखण वळा,

भमs फाळ मारी द्यना, पार  द्यखण वळा।


करणी कुछ अर करणहार कुछ ब्वनु,

घंघतौळ मा छिन मेरु भागेष द्यखण वळा।


हैकsक चव्वो ढूँग खैना ठुलो होणु कु,

अपणी पौ-औलादे कतै नि स्वचण वळा।


चस्सा कमरों मा चुप ज्यू लगोंणा बल,

तड़तड़ा धारों मा घाम तापण वळा।


जिंदग्या बाटों मा भिटवळी अगिणत होंदी, 

पर, यादों डवार ख्वळद फर्की द्यखण वळा।


रोण-खोण अपणा लक-लकार पे अडिग , 

पर, क्या पांदा ह्वला हैकों ध्वछोंण द्योण वळा । 


शब्दार्थ:-


खैना - ख्वदणा

फर्की - मुड़ी कि 

ध्वछोंण - बुरी बात ब्वोली टवकण,


@ बलबीर  राणा 'अडिग'