Search This Blog

Thursday 8 December 2022

भड़



1.

काळा कनूड़, ऊँचा डानों

कठिनै-खौरी जिती 

जब  तू  वीं आखिर चूळा पर ह्वलो 

तब  त्वे लगलो  कि 

क्वी फर्क नि त्वे अर 

तों पाड़ें सगते मा जों तैं 

त्यार ख़ुट्टोन चिपाड़ी,

एक भड़ल नंगायी।

2.

जब तू झैली साकलो 

मैनस पच्चास डिग्री मा हियूँसाड़/ तूफ़ान, 

तब  तू  बिंगलो भड़  तैं  

जौन डिक्सनरी बटि 

असंभौ मठायूँ  रैंद।

3.

सौंग नि भड़ होण  !

हौंग चेंद 

हियूँ चूळा कांठों मा 

यकुली तीन सौ  दुश्मनों दगड़ निबटणे।


यति मजबूत जितम कि 

होरों सुखों वास्ता छत्ती नौन्याळे बलि ध्योंण पर  भी  झर्र  झस्स ना ह्वो ।


खून मा यनु उमाळ कि 

पंद्रा साल मा यी 

दुश्मन सेना बैखों तें 

बैख होंण मा शरम दिलै ध्ये। 


बाकी 

अजक्याल रील बणाण 

वळा भिज्याँ छिन 

भ्योळ भंगार जाणा, 

लमडणा, 

जौं  तें लोग भड़  ना तमास्या बोलणा।


*असौंग  शब्दों अर्थ*

कनूड़ – घणु  जंगळ

हौंग-हिगमत

जितम – छाती


*@ बलबीर  राणा  ‘अडिग’*

No comments:

Post a Comment