ढुंगा माटू हर्यां भर्यां बण,
असमानऽक रंग नीलो चा।
स्वोन सि सुर्ज, पिंगली जून,
सब तैकी यी लीला चा।
ज्वा लुक्यूँ छन सब्यूंऽक भित्र,
सृजनहार श्रृष्ठी को चा,
जै तैं हम परमात्मा ब्वल्दां
यु सब तैकी कृति चा ।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण राम,
राम कृष्ण, राम कृष्ण, राम कृष्ण राम। 2
सैंतणू छै ज्वा पौन पंछी,
ज्वा पाणी मा बगणु चा।
हवा बणी हलकाणु जु डाली,
अन्न द्ये पुटुगो भरणु चा।
माया ममता हौंस रौंस द्ये,
रिंगणु ज्वा यीं पृथी
चा।
जै तैं हम भगवान ब्वल्दा
यु सब तैकी कृति चा ।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण राम,
राम कृष्ण, राम कृष्ण, राम कृष्ण राम। 2
जिट घड़ी तैं बि नि छवड़दू
हर बगत हमरा साथ चा,
धौंकदा फौंकदा सांसै कि डवोर,
वार पार तैका हाथ चा ।
हैंसणू रुवोणु ज्यूणु मरणु
सब तैकी यी मर्जी चा,
जै तैं हम परमात्मा ब्वल्दा
यु सब तैकी कृति चा ।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण राम,
राम कृष्ण, राम कृष्ण, राम कृष्ण राम। 2
मेरू तेरू यखी छुट्टी जाण,
ना कैर इतिगा स्याणी चा।
चार दिने की जिंदगी या,
भ्वोळ क्या ? कैकी जाणी चा।
करम करि ल्या सत का बाटा,
छुटलो ज्वा यीं धर्ती चा।
जै तैं हम परमात्मा ब्वल्दा,
यु सब तैकी कृति चा ।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण राम,
राम कृष्ण, राम कृष्ण, राम कृष्ण राम। 2
@ बलबीर राणा अडिग
https://udankaar.blogspot.com
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