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Tuesday, 5 July 2022

मैक : कुण्डलिया

 



मैक फर चिपकी जांदा, कवि अर नेता जात,

एक दां सुरु ह्वैग्यां गुरू, तब नि छोड़दा साथ।

तब नि छोड़दा साथ, जब आंद तौं छंद-मंद,

ताळी बजि जाली त, गिच्चू नी होण्यां बंद।

छुवीं छप-छपी अडिग, नी लगदी तौं तें थैक,

जख भी मिली जावो, जंता मंच और मैक।

 

@ बलबीर राणा अडिग

मटई वैरासकुण्ड

https://udankaar.blogspot.com


 

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