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Saturday, 6 November 2021

गजल


कन चिफळी गिचीs भरोसु कैर ग्यां,
यूँ रगड़याण* बाटों सफर कैर ग्यां ।

पैल्ये बटिन असन्द कम नि छै,
मथि बटि हैकू बबाल कैर ग्यां।

मान मर्ज्यादा खातिर फsड़* लगेंन,
वा छौं कैरी सेरुळो कौथिग कैर ग्यां।

अकलवान मनखि फंचू मुंड राखी,
गाबिण घोड़ी सवारी कैर ग्यां। 

जौं बल्दों सिंगा तेल पैरे पैना कर्यां छै,
वा गुसैं लदोड़ू घचोरी बैरी मने कैर ग्यां।

जौंका बाना सर्री दुन्यां दगड़ भिड़िन 
मर्द वा मैं दगड़ फोंदरी कैर ग्यां।
 
सोरा जिठाणा यी जरा पर्दा पर छाया,
वा यी मुंन्याणु* चूंडी बेपर्दा कैर ग्यां।

सौ सल्ला कन जयाँ छै भल आदिम,
वा उल्टू खिर्तो होरी ताजा कैर ग्यां।

अडिग सस्ता बाना तखुंद भाजिन ज्वा
वा यखौ एकुलांसो सौदा-पत्ता कैर ग्यां।  

असौंग शब्दार्थ :- 
रगड़याण – ढुङ्गा डोळी वळू
फsड़ – बड़ू रसोड़ू 
मुंन्याणु – मुंड कु पल्ला

@ बलबीर राणा ‘अडिग’

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