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Thursday 22 April 2021

इस्कोल : लघुकथा चंद्रधर शर्मा गुलेरी

    


इस्कोल मा वार्षिकोउत्सो  छायी। मि बि न्यूतयूं छै। हेड मास्टर जी लड़ीक जै कि उमर आठेक साल रै ह्वली वे खुणि बड़ा लाड़न गुलाबरै नुमेस कु चानफुर्या बौड़ जनु दिखै जयेणु छै। नोनु मुख पिंगलु आखाँ स्यता। कराळी नजर। मुंड खाड़। मुखड़ी चळकाट गैब। बल पढ़ण मा सबसि हुस्यार। बल हेड मास्टर अर इस्कोले माथसमपुर्सी औनार वा बाळो। बाळा तैं सर्रा बरमांडा सवाल पुच्छयेण लगिन अर वा सवालौं तडतड़ाट करि जबाबा देन्दू, तोता माफिक। धर्मक दस लक्षण अर नों रसोंक उदारण बतै गयूं। पाणी तौल माछों ज्यून्दा रैणु राज बिंगे गयूं। जून पर छाप अर गरण कु विज्ञान समझे गयूं।  अभौ कन सुबगत बणी सकदू अर सुबगत कने अभौ, दिस्टान्त सास्तर सुणे गयूं। इंग्लैडा आठवां राजा हेनरी राणी नौं अर पेशवों कुर्सीनामा तक सुणे गयूं। सब्बी सवालों  टकटको जबाब।

    नोना उत्तरन मास्टरां भितर खुस्सी लड्डू छाँ फुटणा। आखिर मा बाळा तैं पूछेग्यों कि बाबा तु भबिस्या मा क्या बणण चान्दू। बाळान मुंड मा बिठै बिठयूं जबाबा दिनी, बल लोकसेवा। सभा तड़ तड़ तड़ ताळी बजाण लगिन। तैकु मास्टर बुबा मने-मन अगास मा छै उड़णु।

    बुढ़या अध्यक्ष साबन नोना मुंड मा हाथ धैरी आश्रीवाद  दिनी। ब्वोल ब्यटा इनाम मा जु त्वे चैणु मांग,  वीं चीज द्यूला। मांग ब्यटा मांग ।

    नोनु स्वचण लगिन। बुबा अर होर मास्टर चिन्ता मा ऐग्ये कि पता नि यु क्व क्या पढ़ण वळी चीज किताब सिताब मंगलु। बाळा मुख फर ना ना परकारा रंग औण जाण लगिन। चळविचळ। तै का भितरे बनोटी अर वास्तविक भावों लड़ै आँख्यूं मा दिख्योण लगिन। वा जर्रा सी खम्म खांसी, गोळ साफ करि। नकली परदा हटिन। अर तेन सौजि बोलि। लड्डू। 

    तैकु बुबा अर हौर मास्टर हकदक। अबारी तलक मेरी बि जु सास अटकी छै मिन बि सुखै सास ल्येनी। तौं सब्यून बाळा मने बबर्राट अर ज्यू चपळाट सर्रा पृथिक तौळ चिपाड़ण मा क्वे कमी नि छोड़ी छै पर आखिर मा बाळु बची ग्ये। बाळा मन अर ज्यू मा बचणे पूरी आसा रैन्दी पर हम छाँ कि तै बचण नि देणा। बस्ता किताब कंपुटर इन्टरनेट अर पता नि क्या क्या चीजन तै चिपाड़ी बणें देणा वी तैं कमांड पर चलणु वळु रोबोट, मशीन।

            लड्डू हर्या भर्यां ज्यूना डाळा लपलपा पात छ। जु सुरसुर्या बथों ससर्राट मा छुस्स छुस्स मजाक कर्दा हैंसदा, ना कि मोर्यां काठे अलमारी डवारों जन च्यूंच्याट कणाट । 

रचना - चन्द्रधर शर्मा  गुलेरी

अनुवाद - बलबीर राणा अडिग 

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