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Tuesday 2 June 2020

बरखा (चदुष्पदी मुक्तक)


तू सौजि सौजी ओ कुयेड़ी,
खै ल्ये जर्रासी थौ कुयेड़ी।
भिज्यां बचीं या धाण मेरी
खौळ मा डाल्यां जौ कुयेड़ी।
लौ मानणों टेम लगयूँ छिन,
यफुन दनका दनकी हुयूँ छिन।
मेरी बी सुण ल्ये ठकुर्याणी,
त्वे तैं किलै बर्खणे हुयूँ छिन।
रुणझुण कैरी बर्खयाँ दगड्या,
धिरगम धैरी बर्खयाँ दगड्या।
न कर्यां धिदराट् भिभड़ाट्,
हमारु ख्याल रख्यां दगड्या।
समै बदलिग्ये कलो काल मा,
डौर छ लगणु तेरा हाल मा ।
पैलि बि त, तु औंदी छै बरखा,
अब किलै तू भैंकर चाल मा ?
मथी बटिन कटमताळ होंदी,
झिकुड़ियुं मा झसकताळ होंदी।
फट फटाक कखि बादळ फटदू,
कति मवस्यों सुनकताळ होंदी।
@ बलबीर सिंह राणा 'अड़िग'
01 Jun 2010
udankaar
udankaar

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