*ज्येठी ब्वै (पुराणी)*
सुबेर हुर-मुरे उठिक गाजी-पातीs सेवा
फिर बुड्या-बुड्यों सेवा
नोनू कु नंबर आखिर दों
एक-आध चटेला-चटेली से
फिर डोखरा-पुंगड़ी
बण-बूट, ब्याखुंदा तक
भंगर्या ढयबरी जन रिंगणी रैन्द
गिरस्ती को होर-पोर।
*मजली ब्वै (बीच-बीच)*
खूब उज्यालु होंणक बाद
सट-बट्टा मा उठण
ख़बसे-खुबसे नोनू अर वों का बुबे की सेवा
वोंकु ठसक-मसक
स्कूल भेजण-ल्योण
टीवी, कीचन लत्ता कपड़ा
झाड़ू-पोंछा साफ सफ़े
कुछ अपणु भी ठसक-मसक
स्वेटरक सीकों दग्ड कछड़ी
जडडू मा लेंटर
गर्मी मा पंखाक तोळ।
*कणसी ब्वै (अत्याधुनिक मॉर्डन)*
नो बजे गुड़ मॉर्निंग
सोशियल मीडिया पर सुंदर परेरक कोटेशन
द्वी चार लाईक, अंगुठु-इमोजी
हलट-पलट
मोंण मटके-मुटके चा की चुस्की दगड़
ननू का डेड तें धै
बल्लू देखना जरा
ननू का हगीश चैक करना
फिर अपणु ठसक-मसक
हर ऐंगल से सेल्फी-शॉपिंग,
वर्चवल जिंदगी की हर्क-फर्क
सेर-सपाटा, पार्टी इंजॉय
सब अपणु अपणु किश्मत भाई।
@ बलबीर राणा "अडिग"
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