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Wednesday 16 August 2017

सिपै संकल्प 1


***ज्यूंदा मा***
चखुल्यौं की प्रीत, पोथुलोंs दुलारो  रोस नि रो कब्बी
अपणी ख्याति, माण-सम्माण, वैभवो मोह नि रो कब्बी
चैल-पैल जीवन मा क्या होंदी कब्बी नि पच्छयाणी मिन
सेनापति एक इशारा पर मिटण-मिटाणु जाणी मिन।

गौं ख़्वालों की क्या बात, भ्वोळ कबिता बी बिसरी जाली
लाम मा लम्डणा चार दिन बाद, फिर कैतें याद आली
इतियास मा अमर रावूं इनि मृत्यु इच्छा नि छ म्येरी
संगसार छोड़ी जाण पर बिसरण मा नि होंदी दयेरी।

चीठ्ठीयों मा रैबार अपणेसे आर/सार सदानी राखी मिल
बस सेनापति का एक इशारा पर मिटण-मिटाणु जाणी मिन।

दुन्या बेसक बिसरी जावो सेवा-धर्म निभायी मिल
जै माटी यु शरील बण्यों वे माटी मा मिली/ मिटी जाणी मिल
आखिर सांस तलक भारत विजै रथ हकाणो धरम छ मेरु
बिकट धार-गाड़, ह्यूं कंठों मा अडिग रोंण कर्म छ मेरु।

जीवन तैं माँ माटी खातिर, समर्पण कन माणि मिल
सेनापति का एक इशारा पर मिटण-मिटाणु जाणी मिन।

***शाहिद होणा बाद***
हर फजल एक लाल किरण पल्या धार बटिन आली
व्यक्खुनि सेवा लगे, रात भर गैंणो दंगड़ जगी रैली
दयबतों का मनोणा बाद भी वे स्वर्ग से भाजी जोला
कै रात चट टुटयों गेणु बणि फेर ये धरती पर ऐकी रोला।

बाबा जसवंत हरभजन बणि, सदानी रोणे मंशा पाळी मिल
बस सेनापति का एक इशारा पर मिटण-मिटाणु जाणी मिन।

तुम नि पच्छ्यांण सकला, पर भौंरु बणि यखी रिंटणु रौलु
सुबेर कुखड़ी बणि बांग दयलू,  दिन भर छवप्पा पड़ी रैलु
एक बीर पर मातृ भूमि कु कर्ज जलम जलमान्तर कु होन्दू
कै भी योनि मा यख रैकी फर्ज निभोणु रैन्दू।

नाम नमक निशाणा खातिर अर्पण हूण जाणी मिल
बस सेनापति का एक इशारा पर मिटण-मिटाणु जाणी मिन।

भ्वोळ ज्वनों नसों मा, तातू ल्वे बणि तागत दयूलू
वोंका सांसों मा हवा बणि, जै हिन्द कु जै घोष कनु रैलू
समर बीच वा भड़, जै दिन बैरियों परलय मचाला
मि गर्जलू ध्वजा टुकू बटिन, वा दुश्मने मोंण धड़काला।

भारत मातै आन/बान पर  कुर्वानी दयोंण पच्छयाणि मिल
बस सेनापति का एक इशारा पर मिटण-मिटाणु जाणी मिन।

द्वी फूल शहीदों नो नितर चढ़ै,  हजारों फूल ख़िलला यख
लाखों वीर राष्ट्र का खातिर, कमर कसी खड़ा ह्वला यख
सब्बी भड़ माधोसिंह बणला, जयचंद पैदा नि ह्वला तब
गब्बर दरवान सिंग जन वीर पुत्र जलम ल्योणे राला यख।


पिठें, माँ माटी पर चढ़ण अर चढाणु, इत्गा सी जाणी मिन
बस सेनापति का एक इशारा पर मिटण-मिटाणु जाणी मिन

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