चांचड़ि झुमैले अंग्वाळ होंद दगड़यूळ,
चौंफुला कि ताल-चाल होंद दगड़यूळ।
चौंफुला कि ताल-चाल होंद दगड़यूळ।
जागरि का भंयौर, कथा का हुंगरा,
ढोल-दमुवे साजि ताल होंद दगड़यूळ।
नि होन्द दगड़यौं मा क्वी छ्वटू बड़ौ,
एक हैकू ऐसास ख्याल होंद दगड़यूळ।
साजि उच्छयाद अर साजि हैंसा-रौळि,
बाळों जनु घपरौळ घ्याळ होंद दगड़यूळ।
खट्टू तीखौ तिता से भैर आयूं ज्वा,
वीं पक्यां आमै मिठ्ठास होंद दगड़यूळ।
ठौल-ठौल निभाणें खानापूर्ति ना अडिग,
करिजों मा बजदि धुंयाळ होंद दगड़यूळ।
@ Adig
16 Jul 25
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