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Tuesday, 27 February 2024

मातृभासै मिरतु

ब्वे-बुबाल अपणा

गिचा भितर ही 
स्या गैंडा-किल्वाड़ा
इलै बाँधी कि 
कखि दुन्याँ
हमारा नौन्यालौं
तैं पिछड़ा,
अनपढ़ ना ब्वलो।

उच्ची नाका खातिर
हो या
नोन्यालौं भली
रुवटी स्वेणा 
पर! वूं न 
चुप्प घ्वौट मारी
दाँतकट्टी लगे छौ
कि एक बि शबद
भैर नि औण चैंद।

अर नौन्याळ
तै मातृभासै जाग्वाळ मा
बड़ा ही नि ह्वेन 
बल्कि इतगा
दूर चलिगे उढ़ी कन कि 
तौं कु अब वापिस औण
स्वेणा द्योखण लेख बि नि रयूँ ।

अरे दिदा
सु मातृभाषा
अफूँ मामिरतु नि मोरी 
वीं कि हत्या करिगे
बड़-बड़ा सैरों का बीचों-बीच 
सरे आम दौड़े कच्यै।

छवटा सैर-बजारों मा
भितरे-भीतर
गौळ चिपाड़ी ।

रयीं सयीं
अठवाड़ 
गौं ख्वालौं मा। 
 
©® बलबीर सिंह राणा 'अडिग'

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