1.
आहा !
परकतिक कोळी
मा
कति
स्वाणु गौं छ
हपार
कति
सुख आनंद ह्वोलु तख
पर !
वे पर्यटक
तैं पता नि हून्द
कि
कति
पस्यो अर आँशू धारऽन
सिंचण
पड़द
या
काठै धर्ती
सुन्दर बणाणा खातिर।
2.
डाड
मन
नि
दिखेन्दू वा मर्द
न
अड़काट लगाण सुण्येंन्दो
वा
चुप
घोट
मारि
खैरी का आँशू
आँख्यूं
मा प्येन्दो
परिवार सुख का खातिर।
3.
जबैर
तलक गाड़ि,
बेन्ड
पार नि चलि जान्द
गळघुंटि
बाँधी
टाटा
ब्वनी रैन्द,
हाथ
हिलाणी रन्दै
स्या
जंगलै
सतीर पकड़ी,
अर
गाड़ी
ओझळ होणा बाद
आँख्यों
बटिन गंगा जमुना
बगाणी
रौंदी
परदेश
मा
तैऽका
कस्ट
खैरी बगोंणा खातिर।
4.
वे
दिन वूंऽका
आँख्यूं
मा खुसी आँशू छायी
जब
बेटो प्लेसमेन्ट
विदेश
मा ह्वेन
अर
आज ब्वै-बाबा कि
तपस्या
खुदगर्ज बी
नि
ह्वे सकणि
एक
फोना कना खातिर।
पस्यो = पसीना
@ बलबीर राणा ‘अडिग’
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