धर्ती पर जीवन संघर्षों वास्ता च, आराम त यख बटिन जाणा बाद, ना चै किन बी
कन पड़ल, ये वास्ता लग्यां रावा, जत्गा देह घिस्येली उत्गा चमक, उत्गा संचय जु यख छुटलू।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
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Saturday, 10 August 2019
अडिग शब्दों का पहरा: सरहद से अनहद
अडिग शब्दों का पहरा: सरहद से अनहद: कर्म साधना बैठै यति को सि द्धि का उत्साह नहीं स्वीकारा है समिधा बनना फिर होम की परवाह नहीं गतिमान वह समर भूमि में न दिवा ज्ञा...
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