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Monday 27 June 2016

आखिर दों

मन्खियात का सारा ज्यूण जिंदगी
निथर काटम्-काट मा कटे जाली जिंदगी
कुदरत की दियीँ सामोण ठुकरोण नि च
आखिर दों लखड़ों दगड़ छार त बणली जिंदगी।

@ बलबीर राणा 'अडिग'

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