ये ज्योत तें बुजण ना दियां
गरीब का स्वेणा टूटण ना दियां
लक दक फूल पाती से सजलु मेरु मुल्क
चकबंदी की सबत बिसरी ना जयां।
कमर कसि ल्या रैबार सुणी ल्या
नेता थोकदार गल्दार भैजी तुम भी सुण ल्या
भाषणों घोषणाओं से अब ज्यु उबिगे
तुम भी बंग्लो से भैर ऐ ल्या।
हिमालय की शान गढ़ कुमौं
देवी द्यब्तों कु थान गढ़ कुमौं
धरती पुत्र छाँ तुम ये धरती का
उत्तराखंड की पच्छ्याँण गढ़ कुमौं।
गणेश भैजी मंगल मंत्र हाथ धरि
घुमणु देली- मोर गौं ख्वाला फिरी- फीरि
अपणु आज हमारा भ्वोल् तें
ख्वज्याणु चकबंदी का बाटा फरि।
बात नि यु विचार नि
क्वी आँखरों कु जाल नि
ये बाटा ही ये मुल्क का पराण बच् सकदा
दिल्ली देहरादून की बात नि।
ना भटका दिन रात नौकरी का बाना
अठ्ठारह घंटा द्वी रोटी का बाना
ये धररती कु बर्चस्व तब्बि बच्युं रैलु
घर बौड़ण कु तुम संकल्प ल्याला।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
गरीब क्रांति अभियान
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