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Wednesday, 20 August 2025

न कैकि भै, ना डौर छ,



न कैकि भै, ना डौर छ,
च्वोरुं बस्ती मा घौर छ।

तैन क्या बतौण सुबाटू,
ज्व अफूँ ही लन्यौर छ।

घिस्वों जुबानों क्या बोन्न,
तौंकु न ठिकौण ना ठौर छ।

बल, कितुलौ मरयूँ गुरौ देखि,
या ताण-पराणे सिक्कासौर छ।

भिज्याँ पांजी कख ल्ही जैलो,
सब्बि यख द्वी दिना खन्यौर छ।

बगतै चाल बगत पर बींग अडिग,
नित ह्वे जालि सब्यौरै अब्यौर छ।

शब्दार्थ :--

लन्यौर = लिंडेर
खन्यौर = खाण वळा, मेमान
सब्यौर = सै बगत
अब्यौर = देर, लेट

20 अगस्त 25

Tuesday, 5 August 2025

कुयेड़ी तू घौ ना लगौ





कुयेड़ी तू घौ ना लगौ
बर्खा तू कब्बी ना ओ
इनमण्याँ निराशपंथ कनू
बतौ हम जौ त कख जौ।

पैल्यौ दियूँ नि मोळणू
तू फेर ठसाक लगाणू
जख तेरि मर्जी औणि
तख बम बणि फूटणू।

अरे किलै छ त्वे कौ-बौ
कुयेड़ी तू घौ ना लगौ

हैंसदू खेलदू जीवन उजाड़ी
तेरा हिस्सा मा क्या जि आयी
किलै तू काल-बिकराल होयूँ
यनु तैस-नैस करि तिन क्या पाई।

माटा मा मिलगे मौ कि मौ
कुयेड़ी तू घौ ना लगौ

यीं त्रासदी कु जबाब क्वो द्यूलू
विकास तू द्येलू या सु मथि वळू
केदार, हर्षिल, थरळि, धराली
भोळ न जाण कैकु नंबर ऐलू।

ज्यूँदी धर्ती बिणास ना लौ
कुयेड़ी तू घौ ना लगौ

@ अडिग 
5 अगस्त 2025 धराली हर्षिल त्रासदी पर 

Friday, 1 August 2025

दोहावली : चुनौ

गजेसिंग जी जेठो भै, कणसु फतेसिंग दाणि।
चुनौ मा हुयाँ विरोधी, द्वियूँ  कि अलैद बाणि।।

चुनौ भी क्या नि करांदो, भयूँ आग-दर-भ्योट।
एक कलम दवातन मनू, हैकु कुल्याड़ै चोट।।

फतेसिंगै चिफळी बाणि, गजेसिंगै सुद्दि स्यांणि।
फतेसिंगा मन मा क्या च, गजेसिंगन क्या जाणि।।

हैंकै लकीर छव्टि कनू, ख्यौलणा गलत चाल।
वोट द्योणान फते उणि, गजे कु सुतणा माल।।

हैंका काँधिम ताणि कन, बणणा निशाण बाज।
अपण कन्धा राखा बल,  चल्लो बंदुकि राज।।

जु फतेसिंगन खायी घी, गजे किलै ब्यमळाणु।
अपणू हाथ सूंघे किन, क्या छ बिंगाण चाणु।।

चुनौ ना चकरपति ह्वेन, वोटरों खिंचम-खींच।
जु बगाणू दारू सारु, आखिर जितणो वी च।।

गजे भै कबार बिंगलो, तै फतेसिंगै चाल।
दारु-मासु मा वोट दे, रौण तेरा तनि हाल।।


@ बलबीर राणा 'अडिग'
ग्वाड़ मटई बैरासकुण्ड चमोली