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Tuesday, 21 May 2024

गढ़ जवान

कुंडलिया 

धरती यु वीर भड़ों की, छ गढ़भूमी महान।

मातृभूमि रक्षा खातिर, ह्वे जांदा बलिदान।।
ह्वे जांदा बलिदान,ज्यान हथगुळयों रखदा।
शोला अंगरा बणि, बैरियूँ क काल बणदा।।
माँ माटी मिशन तैं, खुशी खुशी होंदा भर्ती।
वीरों जलमदात्री, धन्य गढ़वाळे धरती।।

@ बलबीर सिंह राणा 'अडिग'

Sunday, 19 May 2024

गजल


छुस्स-छुस ओंण-जाण नि ख़्यालों तरां,
झक्क बसंत बणी ओंण हर सालों तरां।

माया हक मा नि च तड़तड़ू  कुळें बणण,
झुकी भ्यौटणू सीख नारंगी डालौं तरां।

बिस्वास देणू हिट्टी जाण पड़द हिया मा,
बिस्वास नि दियेंन्दू हैकों मु स्वालौं तरां।

अपण्यांसा छौया नि फूटद लठ्ठ मारी,
अपण्यास उणि बासण पड़द स्यालौं तरां।

बैठी जा धिरगम बण सयी उत्तर जनु,
किलै छ इख्वरी उठणी सक सवालों तरां।

भरम वळा इतियास बि भरमै द्यन अडिग,
सयी इतियास ख्वै जांद ख्यालों तरां।


@ बलबीर राणा 'अडिग'

Saturday, 18 May 2024

गीत : म्यारा सुपन्यूँ कि सौंजड्या बणि जा तू



म्यारा सुपन्यूँ कि सौंजड्या बणि जा तू,
ज्यू कि डंडयळी मा ऐ कि बिरजी जा तू,
प्रेम कंठ से गौलू त्वै उमर भर,
म्यारा गीतौं की भौंण बणि जा तू।

डांडी-कांठियूँ बणों मा त्वै ख्वजदू रयूँ,
धार-धारों बाटा-घाटों मा हैरणू रयूँ,
गौळी सूखीगै मेरु त्वै भट्यान्द मांग,
घ्वीड़ा काखड़ों मा बाटू पूछदू रयूँ।

छव्या मंगरों कु पाणी बणि जा तू,
तीसळी माया की तीस बुथै जा तू।
म्यारा सुपन्यूँ कि..............

सारी की सटेड़ियूँ मा तू नि मिली,
पाखौँ की घसेरियूँ मा तू नि मिली,
डूंडदू रौवूं त्वै कौथिगैरों का बिचs,
धारा पंदरों कि पंदेरियूँ मा तू नि मिली।

ग्वैरों मा ग्वाळी बणि ऐ जा तू,
मेरी माया का बखरों तैं हकै जा तू।
म्यारा सुपन्यूँ कि..............

मधुमासी फुलारों मा जग्वळणू रयूँ,
रुड़ियों का छैलौं मा त्वै छौपदू रयूँ,
भीजदू रौवूं चौमासै कि बरखा मा,
मंगसीर का थोळ-म्यलौं मा रिटदू रयूँ।

पूस जडों कु तैलु घाम बणि जा तू,
टटकर्या माया रणमणी लगै जा तू।
म्यारा सुपन्यूँ कि..............

स्या पूर्णमासी जून बाटू दिखाणी रैयी,
सु अँध्यारा का गैणा हथ खेंचणा छाई,
दिन द्वफरौ कु सुर्ज खैरी बींगाणू रयूँ,
स्या व्याखुनी खुदेड़ गीत सुणाणी रैयी।

फजलै कु उदंकार बणि ऐ जा तू,
मेरी माया की झ्वपड़ी उज्यळू करि जा तू।
म्यारा सुपन्यूँ कि..............

@ बलबीर सिंह राणा 'अडिग'
मटई वैरासकुण्ड