म्यारा सुपन्यूँ कि सौंजड्या बणि जा तू,
ज्यू कि डंडयळी मा ऐ कि बिरजी जा तू,
प्रेम कंठ से गौलू त्वै उमर भर,
म्यारा गीतौं की भौंण बणि जा तू।
डांडी-कांठियूँ बणों मा त्वै ख्वजदू रयूँ,
धार-धारों बाटा-घाटों मा हैरणू रयूँ,
गौळी सूखीगै मेरु त्वै भट्यान्द मांग,
घ्वीड़ा काखड़ों मा बाटू पूछदू रयूँ।
छव्या मंगरों कु पाणी बणि जा तू,
तीसळी माया की तीस बुथै जा तू।
म्यारा सुपन्यूँ कि..............
सारी की सटेड़ियूँ मा तू नि मिली,
पाखौँ की घसेरियूँ मा तू नि मिली,
डूंडदू रौवूं त्वै कौथिगैरों का बिचs,
धारा पंदरों कि पंदेरियूँ मा तू नि मिली।
ग्वैरों मा ग्वाळी बणि ऐ जा तू,
मेरी माया का बखरों तैं हकै जा तू।
म्यारा सुपन्यूँ कि..............
मधुमासी फुलारों मा जग्वळणू रयूँ,
रुड़ियों का छैलौं मा त्वै छौपदू रयूँ,
भीजदू रौवूं चौमासै कि बरखा मा,
मंगसीर का थोळ-म्यलौं मा रिटदू रयूँ।
पूस जडों कु तैलु घाम बणि जा तू,
टटकर्या माया रणमणी लगै जा तू।
म्यारा सुपन्यूँ कि..............
स्या पूर्णमासी जून बाटू दिखाणी रैयी,
सु अँध्यारा का गैणा हथ खेंचणा छाई,
दिन द्वफरौ कु सुर्ज खैरी बींगाणू रयूँ,
स्या व्याखुनी खुदेड़ गीत सुणाणी रैयी।
फजलै कु उदंकार बणि ऐ जा तू,
मेरी माया की झ्वपड़ी उज्यळू करि जा तू।
म्यारा सुपन्यूँ कि..............
@ बलबीर सिंह राणा 'अडिग'
मटई वैरासकुण्ड