1.
जणदू छौं
डुबदा तैं कैका
हाथ नि उठद
पर !
गौधुली ललंकार
बिनसरी से कम
बि त नि,
यु क्वे नि समझणु।
2.
क्या चिताणा
ठंगरु ही आई मि यख ?
जब
एक पत्या, द्वी पत्यै
जातरा
लंगलंगी फाग्यूँ
झपन्याळी साख्यूँ
पौंछि तब्बी
तुमारु हैरु भैरु बाग बसिन।
4.
खैर.... हैरा होणे
न आस, न सास
पर !
तुमारा किचने
बास चिताणु छौं अज्यूं ।
5.
परभौ तेरी माया
झपन्यालौ
पौंण पच्छौंन आसरो
आज अफूं निआसरो
ये विकसित मन्ख्यात
विकासील मनखि जमाना मा।
6.
पवन दय्बता औ
एक सर्राक
मार झटाक
भुयाँ गिरे द्ये
तिरिस्कार से म्वन भलु
तब्बी बोझ समझण वलौं
जितम स्येळी पढ़ळी ।
7.
भितर ढवौर
भैर खड़खड़ो
पर ! यति डरोंण्यां
बि नि छौं जति तुम
अपणा कुटमणों का
मुख ढकोणा।
8.
ऐरां बुबा,
ठिक ब्वना तुम
खूब छन बाड़ी सगोड़ी मा
डाळा झकमकार
दाणियाँ बी खूब लाल पिंगळा ह्वयाँ
पर..! क्या कन?
मैं खुणि जैमिर।
जैमिर = संतरे चारे, पर खट्टू।
@ बलबीर राणा 'अड़िग'
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