जब तू मसौड़ी-मसौड़ी प्येन्दी
पुटुग भर्यां बाद
मुल हैंसी लात मारी देन्दू छै
माँ छाती पर
अर होर त होर !
बेशर्मी देखा?
एक लंबी मूते तराक बी
छोड़ी देन्द माँ का मुख फर
पर! माँ तें बुरु नि लगद
बल्कि होर आनंदित ह्वे
भुकी प्येन्द छै
तब क्या?
आज क्या?
वेंकि ममता मा क्वी फरक नि ऐ
चै तू अपीड़ ह्वे
मुख मोड़ी दूर किले नि चल्गे ।
@बलबीर राणा "अडिग"
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