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Monday, 19 December 2016

***बगत****


पल्या धार बटिन हवा आणी त छै छयी
माया की खुशबू अपणा दगड़ लाणी त छै छयी।
बंद रख्यां छां जब ड्वार मोर तेरा
ते हवा न हैंका तरफ जाण त छै छयी।
सिं चाँद सी मुखड़ी नि देख सकी तू
मुंड कु पल्ला वेन सरकाई त छै छयी।
खुटा तेरा ते बाटा नि लग्या वें कु क्या कसूर
छै फुट्या सड़क तेsका गों जाणि त छैं छयी।
धै नि लगायी सुणदरा भौत छां कंदूड् लगे बैठ्यां
आंख्यों आंख्यों मा वेन विंगायी त छै छयी।
तू मुंड पकड़ी रुणु छै पीठ फरके ते बाटा मा
जांदा दों तेन टाटा करि हाथ हिलायी त छै छयी।
@ बलबीर राणा 'अडिग'

Sunday, 10 July 2016

भाजण द्या


भाजणा छिन भाजण द्या रुकाणु सवाल बिल्कुल नि,
जर्वत ह्वली हैक आळा मन्खियों अकाळ बिल्कुल नि।

पंख त पैली वों पर लगिन जु पलायनक रुण रुणा छिन,
देखा-देखी सब्युं का उड़ी अब कैकु सवाल बिल्कुल नि।

लगीं छिन आग जब चौं तरफ़ा सब्युं का फुक्येलु मेरु क्या,
पाणि ल्येणु सांसु नि छिन त जग्णु मलाल भी बिल्कुल नि।

बल सुख सुविधओं की बात नि होंदी त पाड़ वाळी बाते नि,
गाड़ी मा चलणे आदत जु पड़िन उकाळे बात बिल्कुल नि।

@ बलबीर राणा 'अडिग'
© सर्वाधिकार सुरक्षित

Wednesday, 29 June 2016

ज्यूणु सारू


जब आँखि सुदि-सुदि
टबराण लग जांद
गोळी गलघटि अर
कोंकालि ह्वे जांद
अथा मंखियोंक बीच
एकुलांस चितेन्द
रौंतेला डाना-कांठा
फुलोंक बगवान मा भी
मन नि रिझेंन्द
रंगीला पिंग्ला
पोथुलोंक बीच
ज्यू घुघुती बणि रैंद
अर
नजर एकsss टक
कखि दूर
कुछ खुज्यान्द
ये खुणि लोग
ख़ुदक लक्षण बोना
खुद हो या माया
जु भी च
बिमारी भलि नि
फर
ज्यूणु सारू भल च।

@ बलबीर राणा 'अडिग'

Monday, 27 June 2016

आखिर दों

मन्खियात का सारा ज्यूण जिंदगी
निथर काटम्-काट मा कटे जाली जिंदगी
कुदरत की दियीँ सामोण ठुकरोण नि च
आखिर दों लखड़ों दगड़ छार त बणली जिंदगी।

@ बलबीर राणा 'अडिग'