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Friday, 19 September 2025

बादळ हरामी साला : मनहरण घनाक्षरी

 बादळ हरामी साला, धौळा-धौळा काळा-काळा,

काल बणि औणा बोला, फटणा फटाक चा।

होणु-खाणु घर-बार, मिलट मा वार-पार,

डुकरदा रोला-गाड़, कना सफाचट चा।


सर्ग बण्यूं भौंकाल, डौरौ नौ बसग्याळ,

जान ऐगे गाळ-गाळ, कनु कलो-काल चा।

जंत जोड़ जौंतैं पाळि, दबेणि सु गाजी साळी,

हैंसदि जिंदगी होंणि, पल मा मड़ान चा।


हिलणि पाड़ै कि जड़, भर्र-भर्र धड़-धड़

सड़क्यूँ कि चीरफाड़, कनि या बरखा चा

विकास बिणास होंणू, पाड़ रुणू दणमण,

राजी-बाजी घौर-कूड़ि, होणी खंद्वार चा।


Tuesday, 16 September 2025

ननि कहानि : यु बि विशुद्ध लोकवाणी ही छ



 ब्वेकु बौं हाथन पाँचेक सालै श्रेया कु बस्ता छौ कांधिम थाम्यूं अर देणा हाथन वींकि हथगुळि पकड़ी नौन्याळां तै भिड़कतौळ मा छै वींतैं अग्नै खेंचणि, अर स्या खुनखुन करि पिछनै छै ताण मारणी। वींकु हैंका तरिफां ताण मन्नो कारण छौ इस्कोला गेटा बौं तरिफां बाळों कि चटण-बटण वळि दुकनि।

चुप्प रा गौ खड्यौण्यां, चल अग्नै ? मैने तेरो को फुंड चुट्याणा आज।

वीन खुन्न-खुनाट दगड़ बोलि "अपणि बाबै ....... होगी तू " मुझे चौकलेट नै लाणै देती है। ब्वेल चट्टाक वींका गिच्चा पर। कैसी गळद्यवा लड़की है ये ? पता नै काँ-काँ से सीखती है ऐसी भद्दी गाळयां। यां सैर-बजार में रै कर तमीज बि नै सीख रयी। जनु कि सैर-बजार होन्दू ही तमीजा वास्ता होलू।

चल घर, तेरे पापा को तेरी सिखैत करूंगी आज।

ऊँऽऽ..हुँ...हुँ, हाँ…. कल देणा, उस पापा ने ही दिले थे मुझे पांच लुप्या, ऊँऽऽ हुँ.. हुँ ।

अच्छा त सु कमिना बिगाड़ रा मेरी श्रेया को, बतौन्दि वेतैं आज ।

 ‘जन मयेड़ि तनि जयेड़ि’ श्रेया कख चुप्प रौण वळि छै। वीन बि टप्प उनि खुन-खुनाट दगड़ ऊँऽऽ..ऊँऽ... मैने बि बता देणा कि पापा ये मम्मी तुझे कमिना बोल रयी थी अर ब्याळि बगल वाले अंकल को "अपणि मयेड़ी ख....." बोल रयी थी।

मि वूंका पिछने-पिछने छौ औणू तै पतळी गळि मा। तौंकि विशुद्ध लोकवाणि वार्ता सूणि मितैं खित्त हैंसि ऐन अर मि तौं तैं बिरै अग्नै सरक्यूं। मेरा अग्नै सरकण पर स्या भुलि गुणमणाट मा छै बौन्नी, आँ ऐसे हंसणें वाले तो देते हैं बच्चों को कुशिक्षा।

@ बलबीर राणा 'अडिग'

Wednesday, 20 August 2025

न कैकि भै, ना डौर छ,



न कैकि भै, ना डौर छ,
च्वोरुं बस्ती मा घौर छ।

तैन क्या बतौण सुबाटू,
ज्व अफूँ ही लन्यौर छ।

घिस्वों जुबानों क्या बोन्न,
तौंकु न ठिकौण ना ठौर छ।

बल, कितुलौ मरयूँ गुरौ देखि,
या ताण-पराणे सिक्कासौर छ।

भिज्याँ पांजी कख ल्ही जैलो,
सब्बि यख द्वी दिना खन्यौर छ।

बगतै चाल बगत पर बींग अडिग,
नित ह्वे जालि सब्यौरै अब्यौर छ।

शब्दार्थ :--

लन्यौर = लिंडेर
खन्यौर = खाण वळा, मेमान
सब्यौर = सै बगत
अब्यौर = देर, लेट

20 अगस्त 25

Tuesday, 5 August 2025

कुयेड़ी तू घौ ना लगौ





कुयेड़ी तू घौ ना लगौ
बर्खा तू कब्बी ना ओ
इनमण्याँ निराशपंथ कनू
बतौ हम जौ त कख जौ।

पैल्यौ दियूँ नि मोळणू
तू फेर ठसाक लगाणू
जख तेरि मर्जी औणि
तख बम बणि फूटणू।

अरे किलै छ त्वे कौ-बौ
कुयेड़ी तू घौ ना लगौ

हैंसदू खेलदू जीवन उजाड़ी
तेरा हिस्सा मा क्या जि आयी
किलै तू काल-बिकराल होयूँ
यनु तैस-नैस करि तिन क्या पाई।

माटा मा मिलगे मौ कि मौ
कुयेड़ी तू घौ ना लगौ

यीं त्रासदी कु जबाब क्वो द्यूलू
विकास तू द्येलू या सु मथि वळू
केदार, हर्षिल, थरळि, धराली
भोळ न जाण कैकु नंबर ऐलू।

ज्यूँदी धर्ती बिणास ना लौ
कुयेड़ी तू घौ ना लगौ

@ अडिग 
5 अगस्त 2025 धराली हर्षिल त्रासदी पर 

Friday, 1 August 2025

दोहावली : चुनौ

गजेसिंग जी जेठो भै, कणसु फतेसिंग दाणि।
चुनौ मा हुयाँ विरोधी, द्वियूँ  कि अलैद बाणि।।

चुनौ भी क्या नि करांदो, भयूँ आग-दर-भ्योट।
एक कलम दवातन मनू, हैकु कुल्याड़ै चोट।।

फतेसिंगै चिफळी बाणि, गजेसिंगै सुद्दि स्यांणि।
फतेसिंगा मन मा क्या च, गजेसिंगन क्या जाणि।।

हैंकै लकीर छव्टि कनू, ख्यौलणा गलत चाल।
वोट द्योणान फते उणि, गजे कु सुतणा माल।।

हैंका काँधिम ताणि कन, बणणा निशाण बाज।
अपण कन्धा राखा बल,  चल्लो बंदुकि राज।।

जु फतेसिंगन खायी घी, गजे किलै ब्यमळाणु।
अपणू हाथ सूंघे किन, क्या छ बिंगाण चाणु।।

चुनौ ना चकरपति ह्वेन, वोटरों खिंचम-खींच।
जु बगाणू दारू सारु, आखिर जितणो वी च।।

गजे भै कबार बिंगलो, तै फतेसिंगै चाल।
दारु-मासु मा वोट दे, रौण तेरा तनि हाल।।


@ बलबीर राणा 'अडिग'
ग्वाड़ मटई बैरासकुण्ड चमोली 

Thursday, 17 July 2025

दगड़यूळ




चांचड़ि झुमैले अंग्वाळ होंद दगड़यूळ, 
चौंफुला कि ताल-चाल होंद दगड़यूळ।

जागरि का भंयौर, कथा का हुंगरा,
ढोल-दमुवे साजि ताल होंद दगड़यूळ। 

नि होन्द दगड़यौं मा क्वी छ्वटू बड़ौ, 
एक हैकू ऐसास ख्याल होंद दगड़यूळ।

साजि उच्छयाद अर साजि हैंसा-रौळि, 
बाळों जनु घपरौळ घ्याळ होंद दगड़यूळ।

खट्टू तीखौ तिता से भैर आयूं ज्वा,
वीं पक्यां आमै मिठ्ठास होंद दगड़यूळ। 

ठौल-ठौल निभाणें खानापूर्ति ना अडिग,
करिजों मा बजदि धुंयाळ होंद दगड़यूळ।


@ Adig

16 Jul 25

Friday, 11 July 2025

चुनौ चुनौती

 


चुनौ चुनौती च, समझदरि  से काम कन,
हैकाऽ ना अपणा मर्जिल मतदान  कन ।

आपौ वोट अमोल च गौं भबिस्या वास्ता,
इलै सोचि-बिचरि अपणा वोटौ दान कन ।  

अजाणन त  जिती बि अजाण  ही  रौण,
जणगुरु तैं  वोट  द्ये गौंऽको उथान कन।

वेकि  योग्यतै  परख  तुमरि  योग्यता च,
इलै योग्य  तैं  चुनी  योग्यतौ  काम कन।

दारू-मासू  अर  द्वी  पैंसा  मा  बिकण,
छ  यनु  काम  लोकतन्त्रौ  अपमान कन।

जात-बिरदरि, ख्वाळा,  भै-भयात  से  भैर
काबिल  कंडीडेट तैं  ही  समर्थवान  कन।

सुद्दी  बखौंण मा वोट नि चुट्याण  अडिग,
बींगी-भाली ग्राम समृद्धी वास्ता श्रमदान कन।

रचना - बलबीर राणा ‘अडिग’