दिव्य दृष्टा हमारा रचैता, वंदन बार बार चा।
सेवा-सौंळी च पूज्य पितरो, नमन तौं हरबार चा।१।
तुम यी छन जीवनक आधार, तुमूं पालणहार चा
तुमारा आशीर्वादन हमूं, फलियाँ झकमकार चा।२।
अब ऋषि छन तुम गैंणा बणिग्याँ, नाथ तुमू माथ चा।
बंसावळयूँ की हौंणि खाणि, सोब तुमरा हाथ चा।३।
तुमारा नितर तर्पण अर्पण, पितृपक्ष श्रद्धांजलि चा।
कखड़ी मुंगरी ऋतु फलफूल, हमारि भावांजलि चा।४।
झट आवा तै द्योलोक बटे, परोस्यूँ पिंड प्राण चा।
रै होली कुछ अधीती तीस, धरियूँ पितृप्रसाद चा।५।
आशीष रख्याँ अपड़ि जलड़यूँ, दियाँ सुखि वरदान चा।
राजी रैली संतति पितरो, रैलु तुमरो मान चा।६।
सभी जोगी योगी अल्प मृत्यु, पितरौ धै नमाण चा।
अन्न पाणी पय स्वधा पितरो, द्यबता प्रथम स्थान चा ।७।
जीवन खपांदू मनखी अपड़ु, औलाद खातरा चा।
लखड़ू जळीकि पिछने औन्दू, सब्यूँ की जातरा चा।८।
ऋण होंदो पितरोंक हमूफर, हम वूंक परताप चा।
पितृऋण चुकाणू श्राद्ध बाटू, नित जीवन त्रिताप चा।९।
सनातन धरम मायी यकुलो, यीं दुन्याँ व्यौवार चा।
अपणा पितरों का खातर यनु, श्रद्धा को त्यौवार चा।१०।
@बलबीर सिंह राणा 'अडिग'